


अरामी भाषा का इतिहास और महत्व
अराम (अरामाइक के रूप में भी जाना जाता है) एक भाषा है जो प्राचीन मेसोपोटामिया में बोली जाती थी, विशेष रूप से असीरिया और बेबीलोन के क्षेत्रों में। यह कई शताब्दियों तक इस क्षेत्र की भाषा थी, और इसका व्यापक रूप से व्यापार, कूटनीति और साहित्य के लिए उपयोग किया जाता था।
"अराम" नाम हिब्रू शब्द "अराम" से आया है, जिसका अर्थ है "उच्च मैदान।" ऐसा माना जाता है कि इस भाषा की उत्पत्ति मेसोपोटामिया के ऊंचे मैदानों में हुई थी, और यह असीरियन, बेबीलोनियन और अरामीअन सहित विभिन्न लोगों द्वारा बोली जाती थी।
अरामाइक अफ़्रो-एशियाई भाषा परिवार की सेमिटिक शाखा का एक सदस्य है, जो इसमें हिब्रू, अरबी और अम्हारिक् भी शामिल हैं। यह अरामाइक वर्णमाला का उपयोग करते हुए दाएं से बाएं लिखा जाता है, जिसमें 22 अक्षर होते हैं। अरामाइक का उपयोग प्राचीन मेसोपोटामिया में व्यापक रूप से किया जाता था, और यह पूरे मध्य युग और आधुनिक युग में विभिन्न रूपों में बोली जाती रही। आज भी, कुछ समुदाय ऐसे हैं जो अरामी को अपनी मूल भाषा के रूप में बोलते हैं, खासकर इराक, सीरिया और तुर्की में।



