क़ासिदा की शक्ति: अरबी कथात्मक कविता की कला को उजागर करना
क़ासिदा (अरबी: قاصدة) अरबी कविता का एक रूप है जिसकी उत्पत्ति पूर्व-इस्लामिक काल के दौरान अरब प्रायद्वीप में हुई थी। यह एक लंबी, कथात्मक कविता है जो एक कहानी कहती है या किसी घटना का वर्णन करती है, अक्सर एक नैतिक या नैतिक संदेश के साथ। कसीदा की विशेषता कवि के संदेश को व्यक्त करने के लिए रूपक, कल्पना और अन्य काव्य उपकरणों का उपयोग है।
शब्द "कसीदा" अरबी मूल "क्यू-एस-डी" से आया है, जिसका अर्थ है "बांधना" या "बांधना।" यह उस तरीके को संदर्भित करता है जिसमें कवि एक सामंजस्यपूर्ण और सार्थक समग्रता बनाने के लिए कविता के विभिन्न तत्वों को एक साथ जोड़ता है। कसीदा अक्सर मौखिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कवि दर्शकों को कविता सुनाता है। कसीदा का अरब संस्कृति में एक समृद्ध इतिहास है, और कई प्रसिद्ध कवियों ने सदियों से कसीदा लिखा है। सबसे प्रसिद्ध कसीदा कवियों में से कुछ में अल-खानसा, लैला अल-अखरस और अबू तम्मम शामिल हैं। आज, क़ासिदा अरबी साहित्य में कविता का एक महत्वपूर्ण रूप बना हुआ है और दुनिया भर के विद्वानों और कविता प्रेमियों द्वारा इसका अध्ययन और सराहना की जाती है।