


ग्रहणों को समझना: प्रकार, कारण और वैज्ञानिक महत्व
ग्रहण एक शब्द है जिसका उपयोग खगोल विज्ञान में एक खगोलीय वस्तु को दूसरे द्वारा अवरुद्ध या अस्पष्ट करने के लिए किया जाता है। ग्रहण कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सीधे सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, तो सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो जाती है और पृथ्वी पर छाया पड़ती है।
2. चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी सीधे सूर्य और चंद्रमा के बीच से गुजरती है, तो चंद्रमा की सतह से सामान्य रूप से परावर्तित होने वाली सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो जाती है।
3. ग्रह ग्रहण: जब एक ग्रह सीधे सूर्य और दूसरे ग्रह के बीच से गुजरता है, तो सूर्य का प्रकाश अवरुद्ध हो जाता है और दूसरे ग्रह पर छाया पड़ती है।
4. क्षुद्रग्रह ग्रहण: जब कोई क्षुद्रग्रह सीधे सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, तो सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो जाती है और पृथ्वी पर छाया पड़ती है।
5. धूमकेतु ग्रहण: जब कोई धूमकेतु सीधे सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, तो सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देता है और पृथ्वी पर छाया डालता है। ग्रहण आकाशीय पिंडों के गुणों, जैसे उनके आकार, आकार और संरचना के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकता है। इनका उपयोग आकाशीय पिंडों के व्यवहार और उनकी गति पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए भी किया जा सकता है।



